
तेरे बिना
तेरे बिना जिंदगी अधुरीसी क्यों है..
के मोहोब्बत में अब भी मेरे खलीश क्यों है..
तेरे कदमो की आहटसे मैं अब मचलती नहीं,
तेरे सासों की गरमी मुझे अब तडपाती नहीं,
फिर भी न जाने ये चुपी-सी क्यों है..
तेरे बिना जिंदगी अधुरीसी क्यों है..
के मोहोब्बत में अब भी मेरे खलीश क्यो है..
वैसे तो जिंदगी की रफ्तार रुकी नहीं,
और जिंदगी को अब तेरी गुंजाईश तक नहीं,
फिर भी तेरे लबों पे मेरे नाम की कशिश क्यों है..
तेरे बिना जिंदगी अधुरीसी क्यों है..
के मोहोब्बत में अब भी मेरे खलीश क्यों है.
तेरे बिना जिंदगी अधुरीसी क्यों है..
के मोहोब्बत में अब भी मेरे खलीश क्यों है..
तेरे कदमो की आहटसे मैं अब मचलती नहीं,
तेरे सासों की गरमी मुझे अब तडपाती नहीं,
फिर भी न जाने ये चुपी-सी क्यों है..
तेरे बिना जिंदगी अधुरीसी क्यों है..
के मोहोब्बत में अब भी मेरे खलीश क्यो है..
वैसे तो जिंदगी की रफ्तार रुकी नहीं,
और जिंदगी को अब तेरी गुंजाईश तक नहीं,
फिर भी तेरे लबों पे मेरे नाम की कशिश क्यों है..
तेरे बिना जिंदगी अधुरीसी क्यों है..
के मोहोब्बत में अब भी मेरे खलीश क्यों है.
अक्षदा
Wa far chan
उत्तर द्याहटवा